अक्सर आप सुनते होंगे कि अमुक प्रोग्राम ने टीआरपी में बाजी मार ली. अमुक चैनल टीआरपी में इस हफ्ते अव्वल रहा. टीआरपी क्या है? और किस तरह इससे इस बात का आंकलन कर लिया है? टीआरपी टेलीविजन रेटिंग पॉइन्ट एक ऐसा टूल है जिसके माध्यम से निर्णायक मंडल यह फैसला करता है कि कौन-सा प्रोग्राम सबसे ज्यादा देखा जाता है.
इसकी गणना कैसे होती है? – गणना के लिहाज से कुछ हजार लोगों के घर में एक डिवाइस टीवी के साथ लगा दिया जाता है. इसे अलग-अलग भौगोलिक और जनसांख्यिकीय सेक्टर के सैंपल के आधार पर जाँचा जाता है. यह दर्शकों द्वारा उस दिन देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को रिकॉर्ड करता है. फिर इसका सात दिनों के आधार पर औसत निकाला जाता है. जो उस चैनल के दर्शक स्टेटस के बारे में जानकारी देता है.
भारत में काम करने वाली एजेंसी आईएनटीएएम(INTAM) (इंडियन टेलीविजन ऑडियंस मैनेजमेंट) इसे निर्धारित करने का काम करती है. यह इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. पहली फ्रीक्वेंसी मॉनीटरिंग और दूसरी पिक्चर मैचिंग फ्रीक्वेंसी मॉनिटरिंग में पीपुल मीटर सैंपल घरों में इंस्टाल किए जाते हैं और यह इलेक्ट्रॉनिक गैजेट परिवार के सदस्यों द्वारा देखे जाने वाले चैनल के डाटा को रिकॉर्ड करते हैं. पीपुल मीटर प्रत्येक चैनल की फ्रीक्वेंसी पढ़ता है और फिर उसे चैनल के नाम के रूप में डीकोड कर देता है. लेकिन इसमें सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि केबल ऑपरेटर बिना घरों का सिग्नल भेजे चैनल की फ्रीक्वेंसी बदल देते हैं. दूसरी तकनीक ज्यादा विश्वसनीय और भारत के लिहाज से नई है. इसमें पीपुल मीटर लगातार टेलीविजन सेट पर किसी पिक्चर के एक छोटे भाग को रिकॉर्ड करते रहते हैं. इसके साथ ही एजेंसी चैनल के डाटा को छोटे पिक्चर के रूप में रिकॉर्ड करते रहते हैं. इसके बाद दोनों डाटा के आधार पर राष्ट्रीय सतर की रेटिंग निकाली जाती है.
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